Monday, July 18, 2011

छीछा लेदर

छीछा लेदर


ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी,
भए न्याय के सब अधिकारी।

इन सब को अपराधी जान्यो,
सभै की मौन समाधि जान्यो।

निर्बल जीव को पापी संजयो,
ताड़क को परतापी समझयो।

इनके मूडे सींग उग आई,
इनके मार से कौन बचाई?

गंवरा भए शहर के बासी,
न्याय धीश हैं चमरा पासी।

पशुअन तक सनरक्षन पाइन,
सवरण जान्यो जनम गंवाइन।

नारी माँ बेटी बन बनयाई,
तुलसी बाबा राम दुहाई।

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