Friday, June 22, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 95 बहानो पर बहाना,


95

बहानो पर बहाना,
नया फिर इक फ़साना.

तवाज़ुन1 खो चुका हूँ,
न अब सर को उठाना.

तल्लुक़ मुन्क़ता2 हो,
नहीं मिलना मिलाना.

नहीं बर मिल सका था,
कि ऊंचा था घराना,

तहारत3 पर अडे हो,
न तुम हरगिज़ नहाना.

फ़लक  पर जा बसे हो,
लिखा था आब दाना.

बहुत बारीक सी हो,
ज़रा नज़दीक आना.

बहुत सीधा है 'मुंकिर',
न उसका दिल दुखाना.

१-संतुलन २-विच्छेद ३- पवित्रता

،بہانو پر بہانا 
بڑے جھوٹے ہو جا نا٠ 

،توازن کھو چُکا ہوں 
نہ پھر آنکھیں دِکھانا٠ 

،تعلق منقطع ہو 
نہیں ملنا ملانا ٠ 

،نہیں بَر مل سکا ہے 
کہ اونچا تھا گھرانہ٠ 

،طہارت پر اَڑے ہو 
نہ تُم ہرگز نہانا٠ 

 ،فلک پر جا بسے ہو
  لِکھا تھا آب دانہ٠ 

،بہت باریک سی ہو 
ذرہ نزدیک آنا٠ 

،بہت سیدھا ہے منکر
نہ اس کا دل دکھانا ٠  

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