Tuesday, June 5, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 78 मोहलिक तरीन रिश्ते



78

मोहलिक तरीन रिश्ते, निभाए हुए थे हम,
बार ए गराँ को सर पे, उठाए हुए थे हम.

ख़ामोश थी ज़ुबान, कि  अल्फ़ाज़  ख़त्म थे,
लाखों ग़ुबार दिल में, दबाए हुए थे हम.

ठगता था हम को इश्क़, ठगाता था ख़ुद को इश्क़,
कैसा था एतदाल, कि पाए हुए थे हम.

गहराइयों में हुस्न के, कुछ और ही मिला,
न हक़ वफ़ा को मौज़ूअ, बनाए हुए थे हम.

उसको भगा दिया कि वोह, कच्चा था कान का,
नाकों चने चबा के, अघाए हुए थे हम.

सब से मिलन का दिन था, बिछड़ने की थी घडी,
'मुंकिर' थी क़ब्रगाह, कि  छाए हुए थे हम,

*मोहलिक तरीन =हानि कारक *बारे गराँ=भारी बोझ *एतदाल=संतुलन *मौज़ू=विषय.

،محلق ترین رشتے، نبھاۓ ہوئے تھے ہم 
بارِ گراں کو سر پہ، اٹھاۓ ہوئے تھے ہم٠ 

،خاموش تھی زبان، کہ الفاظ ختم تھے  
لاکھوں غبار دل میں، دباے ہوئے تھے ہم٠ 

،ٹھگتا تھا عشق اور ٹھگاتا تھا خود کو عشق 
کیسا تھا اعتدال، کہ پاۓ ہوئے تھے ہم٠ 

،گہرایوں میں عشق کے، کچھ اور ہی ملا  
نا حق وفا کو موضوع، بناے ہوئے تھے ہم٠ 

،اُسکو بھگا دیا، کہ وہ کچّا تھا کان کا
ناکوں چنے چبا کے، اگھاۓ ہوئے تھے ہم٠ 

،سب سے ملن کا دن تھا، بچھڑ نے کا دن بھی تھا 
منکر تھی قبر گاہ، کہ چھاۓ ہوئے تھے ہم٠ 

No comments:

Post a Comment