Thursday, June 7, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 80 तुम भी अवाम की, ही तरह डगमगा गए



80

तुम भी अवाम की, ही तरह डगमगा गए,
मेरे यक़ीं के शीशे पे, पत्थर चला गए.

घायल अमल हैं, और नज़रिया लहू लुहान,
तलवार तुम दलील की, ऐसी चला गए.

मफ़रूज़ा हादसात, तसुव्वुर में थे मेरे,
तुम कार साज़ बन के, हक़ीक़त में आ गए.

पोशीदा एक डर था, मेरे ला शऊर में,
माहिर हो नफ़्सियात के, चाक़ू थमा गए.

भेड़ों के साथ साथ, रवाँ आप थे जनाब,
उन के ही साथ गिन जो दिया, तिलमिला गए.

ख़ुद एतमादी मेरी, ख़ुदा को बुरी लगी,
सौ कोडे़ आ के उसके सिपाही लगा गए.

*मफरूज़ा=कल्पित *कार साज़=सहायक *ला शऊर=अचेतन मन 
*नफ़्सियात=मनो विज्ञानं *खुद एतमादी=आत्म विश्वास

،تُم بھی عوام ہی کی طرح،  ڈگمگا گئے 
میرے یقیں کے شیشے پہ، پتھر چلا گئے 

،گھایل عمل ہیں اور نظریہ لہو لہان 
تلوار تُم دلیل کی، ایسی چلا گئے٠ 

،مفروضہ حادثات، تخیّل میں تھے مرے 
تُم چارہ ساز بن کے، حقیقت میں آ گئے٠ 

،پوشیدہ ایک ڈر تھا مرے لا شعور میں 
ماہر ہو نفسیات کے، چاقو تھما گئے٠ 

،خود اعتماد ی میری خدا کو بُری لگی 
سو کوڑے آ کے، اُسکے سپاہی لگا گئے٠

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