सर को ठंडा, पैर गरम रख भाई,
हो पीठ कड़ी, पेट नरम रख भाई,
सच्चाई भरे अच्छे करम हों तेरे,
ढोंगी न बन काँटे धरम रख भाई.
किस धुन से बजाय था मजीरा देखो,
छल बल से चुने मोती ओ हीरा देखो,
बनिए की समाधि है, कि इबरत का मुक़ाम,
इस कब्र का बे कैफ़ जज़ीरा देखो.
मातूब हुवा जाए बुढ़ापे में वजूद,
लगत मिली बीवी से , न औलाद से सूद,
संन्यास की ताक़त है, न अब भाए जुमूद,
बूढ़े को सताए हैं, बचे हस्त ओ बूद.
No comments:
Post a Comment