Friday, April 18, 2014

Junbishe 275



सर को ठंडा, पैर गरम रख भाई, 
हो पीठ कड़ी, पेट नरम रख भाई, 
सच्चाई भरे अच्छे करम हों तेरे, 
ढोंगी न बन काँटे धरम रख भाई. 


किस धुन से बजाय था मजीरा देखो, 
छल बल से चुने मोती ओ हीरा देखो, 
बनिए की समाधि है, कि इबरत का मुक़ाम, 
इस कब्र का बे कैफ़ जज़ीरा देखो. 


मातूब हुवा जाए बुढ़ापे में वजूद, 
लगत मिली बीवी से , न औलाद से सूद, 
संन्यास की ताक़त है, न अब भाए जुमूद, 
बूढ़े को सताए हैं, बचे हस्त ओ बूद. 

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