Sunday, January 12, 2014

Junbishen 131



ग़ज़ल 
आज़माने की बात करते हो,
दिल दुखाने की बात करते हो।

उसके फ़रमान में, सभी हल हैं,
किस फ़साने की बात करते हो।

मुझको फुर्सत मिली है रूठों से,
तुम मनाने की बात करते हो।

ऐसी मैली कुचैली गंगा में,
तुम नहाने की बात करते हो।

मेरी तक़दीर का लिखा सब है,
मार खाने की बात करते हो।

झुर्रियां हैं जहाँ कुंवारों पर ,
उस घराने की बात करते हो।

हाथ 'मुंकिर' दुआ में फैलाएं,
क़द घटाने की बात करते हो।

1 comment:

  1. सुर्ख-निग़ाह कह रही शबनम से रोए हो..,
    ये कहो किस फ़िरदौस के अजाब धोए हो..,
    शब् के रोने से कहीं अजाब धुला करते हैं..,
    अमा ख़ास-ओ- महाल में कहाँ खोए हो.....

    फ़िरदौस = चमन, बिहिश्त, मुल्क
    ख़ास-ओ- महाल = वह सम्पति जिसका प्रबंध शासन स्वयं करे

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