नज़्म
मंसूरी1 आईना
दस्तख़त किसके हैं, मख़लूक़२ की शक्ल ओ सूरत?
किसकी तहरीर है, फ़ितरत की ये नक़्ल ओ हरकत३ ?
इसकी तशरीह4 किया करते हैं, पंडित,मुल्ला,
अपनी दूकानें लिए बैठे हैं, बुत और अल्लाह।
खोज 'उसकी'अगर जो चाहता है, ख़ुद में कर',
'उसके' हर राज़ का हमराज़ है, ये तेरा सर।
राएगां५ जाते हैं, तेरे ये शबो-रोजी सुजूद६ ,
था अनल हक़ की स,दाओं में किसी हक़ का वजूद।
ख़ुद को पहचान तू ,महकूमी७ को दुश्नाम८ ,
ख़ुद को पा जाए तो, जीता हुआ इनआम समझ।
१-एक अरबी संत जिसने स्वयम में इश्वर ईश्वर होने का एलन किया २-प्राणि.३-गति-विधि ४व्याख्या 5 -व्यर्थ 6 - सजदे ७-गुलामी ८-गाली
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