रुबाइयाँ
तहरीक सदाक़त हो दिलों में पैदा ,
तबलीग़ जिसारत हो दिलों में पैदा ,
बतला दो ज़माने को खुदा भी बुत है ,
फितरत की अक़ीदत हो दिलों में पैदा।
बच्चे को बसद शान ही बनने न दिया,
बस साहिबे इमान ही बनने नदिया,
पैदा होते ही कानों फूंक दिया झूट,
इन्सान को इन्सान ही बनने न दिया.
आज़ादी है सभी को कोई कुछ माने ,
अजदाद के जोगी को पयम्बर जाने ,
या अपने कोई एक खुदा को गढ़ ले ,
गुस्ताखी है औरों को लगे समझाने .
लूटी सबने क़ौमें वो सैयद हो कि सैयदा हो..,
ReplyDeleteकुछ पैदा होने से पहले एक दरिया दिल पैदा हो.….