Sunday, August 25, 2013

junbishen 63


दोहे 


हिन्दू मुलिम लड़ मरे, मरे रज़ा और भीम, 
सुलभ तमाशा बैठ के, देखें राम रहीम. 


मानव-जीवन युक्ति है, संबंधों का जाल, 
मतलब के पाले रहे, बाकी दिया निकाल. 


नादानों की सोच है ऐसा बने विधान,
वैदिक  युग में जा बसे अपना हिदुस्ता.


इंसानी तहजीब के मिटे हैं कितने रूप,
भगुवा, हरिया टर रटें , खोदें मन में कूप.


अल्ला को तू भूल जा, मत कर उसका ध्यान,
अल्ला की मखलूक का, पहले कर कल्यान.

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