Saturday, July 7, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 108 बडी कोताहियाँ जी लीं, बड़ी आसानियाँ जी लीं,


108

बडी कोताहियाँ जी लीं, बड़ी आसानियाँ जी लीं,
कि अब जीना है फ़ितरत को, बहुत नादानियाँ जी लीं.


तलाशे हक़ में रह कर, अपनी हस्ती में न कुछ पाया,
कि आ अब अंजुमन आरा!, बहुत तन्हाईयाँ जी लीं.

जवानी ख़्वाब में बीती, ज़ईफ़ी सर पे आ बैठी,
हक़ीक़त कुछ नहीं यारो, कि बस परछाइयाँ जी लीं.

मेरी हर साँस, मेरे हाफ्ज़े से, मुन्क़ते कर दो,
कि बस उतनी ही रहने दो, कि जो रानाइयाँ जी लीं.

जो घर में प्यार के काबिल नहीं, तो दर गुज़र घर हो,
बहुत ही सर कशी झेलीं, बहुत सी ख़ामियाँ जी लीं.

तआकुब क्या, तजाउज़, कुछ ख़ताएँ करती हैं 'मुंकिर',
इन्हें रोको कि कफ़्फ़ारे  की, हमने सख्तियाँ जी लीं.

*फितरत=प्रक्रिति *हक=खुदा * हाफ्ज़े=स्मरण *मुन्क़ते=विच्छिन 
*तआकुब=पीछा करना *तजाऊज़=उल्लंघन *कफ्फारे=प्राश्यचित

،بڑی کوتاہیاں جی لیں، بڑی آسانیاں جی لیں 
کہ اب جینا ہے فطرت کو، بڑی نا دانیاں جی لیں٠

،تلاشِ حق میں رہکر اپنی ہستی میں نہ کچھ پایا 
کہ آ اب انجمن آرا ! بہت تنہائیاں جی لیں٠

،جوانی خواب میں بیتی، ضعیفی سر پہ آ بیٹھی  
حقیقت کچھ نہیں یارو، کہ بس پرچھا ییاں جی لیں٠

،میری ہر سانس میرے حافظے سے منقطع کر دو 
بچی اتنی ہی رہنے دو کہ جو رعنائیاں جی لیں٠

،جو گھر میں پیار کے قابل نہیں تو چھوڑ دو گھر کو 
بہت سی سرکشی جھیلیں، بہت سی خامیاں جی لیں٠

،تعاقب کیا، تجاوز کر گئیں ہیں کچھ خطا میری 
انہیں روکو کہ کفّارے کی، ہم نے سختیاں جی لیں٠ 

1 comment:

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