Thursday, July 5, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 106 ख़ेमें में बसर कर लें, इमारत न बनाएँ,


106

ख़ेमें में बसर कर लें, इमारत न बनाएँ,
जो दिल पे बने बोझ, वो दौलत न कमाएँ.

सन्देश ये आकाश के, अफ़लाकी  निदाएँ,
हैं इन से बुलंदी पे, सदाक़त की सदाएँ.

सच्ची है ख़ुशी, इल्म की दरया को बहाएँ,
भर पूर पढें, और अज़ीज़ों को पढ़ाएँ.

संगीन के साए में हैं, रहबर कि ख़ताएँ,
मज़लूम के हिस्से में, बिना जुर्म सज़ाएँ.

तीरथ कि ज़ियारत हो,कोई पाठ पढ़ाएँ,
जायज़ है तभी, जब न मोहल्ले को सताएँ.

जलसे ये मज़ाहिब के, ये धर्मों कि सभाएँ,
'मुंकिर' न कहीं देश की, दौलत को जलाएँ.

*अफ्लाकी निदाएँ=कुरान वाणी *सदाक़त=सत्य वचन *ज़ियारत=दर्शन .

،خیمے میں کریں زیست، عمارت نہ بنائیں
جو دل پہ بنے بوجھ ، وہ دولت نہ کمائیں٠ 

،سندیش یہ آکاش کے، افلاکی ندائیں 
 ہیں اِن سے بُلندی پہ، صداقت کی صدائیں٠ 

،سچی ہے خوشی علم کی دریہ کو بہا ئیں 
بھرپور پڑھیں اور غریبوں کو پڑھا ئیں٠ 

،سنگین کے سائے میں ہیں رہبر کی خطا ئیں 
مظلوم بُھگتتے ہیں، بنا جرم سزائیں٠ 

،تیرتھ ہو، زیارت ہو، کوئی پاٹھ پڑھا ئیں 
جائز ہے تبھی، جب نہ مُحللے کو ستا ئیں٠ 

،جلسے یہ مذاھب کے، یہ دھرموں کی سبھا ئیں 
منکر نہ کہیں دیش کی دولت یہ جلا ئیں٠ 

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