रुबाइयाँ
तुम भी अगर जो सोचो, विचारो तो सुनो,
अबहाम१ के शैतान को, मारो तो सुनो,
कुछ लोग बनाते हैं, तुम्हें अपना सा,
ख़ुद अपना सा बनना है, गर यारो तो सुनो.
१-अन्धविश्वास
تم بھی اگر جو سوچو ، وچارو تو سنو
ابہام کے شیطان کو مارو تو سنو
کچھ لوگ بناتے ہیں تمہیں اپنا سا
خود اپنا سا بننا ہے، جو یارو تو سنو٠
'मुंकिर' की ख़ुशी जन्नत, तौबा तौबा,
दोज़ख़ से डरे ग़ैरत, तौबा तौबा,
बुत और ख़ुदाओं से तअल्लुक़ उसका,
लाहौल वला, क़ूवत, तौबा तौबा.
منکر کی خوشی جنّت، توبہ توبہ
دوزخ سے ڈرے غیرت ، توبہ توبہ
بُت اور خداؤں سے تعلّق اُسکا
لا حول ولا قووتھ ، توبہ توبہ ٠
अल्लाह ने बनाया है, जहानों सामाँ ,
मशकूक ख़िरद1 है, कहूं हाँ या नाँ,
इक बात यक़ीनन है, सुनो या न सुनो,
अल्लाह को बनाए है, क़यास इंसाँ.
क़यास =अनुमान
الله نے بنایا ہے جہان و ساماں
مشکوک خرد ہے کہ کہوں ہاں یا نا
اک بات یقیناً ہے سُنو یا نہ سُنو
الله کو بناۓ ہے قیاسِ انساں ٠
No comments:
Post a Comment