Friday, February 15, 2019

जुंबिशें - - - 31चाहत है तेरी


ग़ज़ल

चाहत है तेरी, और तेरा इंतेख़ाब1 है,

क्या दोस्त तेरा, तेरी तरह लाजवाब है?


सो लेना चाहिए, तुझे कुछ देर के लिए,

नींद की हालत में, यह बेजा ख़िताब2 है.


है एक ही नुमायाँ, वहाँ चाँद की तरह,

बाक़ी हसीन चेहरों के, रुख पे नक़ाब है.


शायर है बेअमल, कि इसे बा अमल करो,

चक्खी नहीं कभी, मगर मौज़ूअ शराब है.


क़ानून क़ाएदों के, उसूलों की नींद में ,

उस घर में घुस गया, जहाँ जीना सवाब है.


रोका नहीं है भीड़ ने, टोका है, रुका हूँ,

'मुंकिर' को रोक ले, ये भला किस में ताब है.


१ पसंद 2  -संबोधन



چاہت ہے تیری اور ترا انتخاب ہے 

کیا دوست تیرا، تیری طرح لا جواب ہے؟ 


سو لینا چاہئے تمہیں، کچھ دیر کے لئے 

حالت غنودگی کی ہے، بے جا خطاب ہے٠ 


ہے ایک ہی نُمایاں وہاں چاند کی طرح 

باقی حسین تاروں کے رُخ پر نقاب ہے٠ 


شاعر ہے بے عمل، کہ اُسے با عمل کرو 

چکّھی نہیں شراب کو، موضوع شراب ہے٠ 


قانون قاعدوں کے، اُصولوں کی نیند میں 

اُس گھر میں گھس گیا، جہاں جینا ثواب ہے٠ 


روکا نہیں ہے بھیڑ نے ٹوکا ہے، رُک گیا 

منکر کو روک لے، بھلا یہ کس میں تاب ہے٠ 

No comments:

Post a Comment