मअज़रत1
मेरे यारो ! न गर बुरा मानो ,
देर तक मेरे पास मत बैठो ,
मेरी दुल्हन उदास होती है ,
तनहा पाकर ही पास होती है
मेरी दुल्हन है मेरी तन्हाई ,
लेके आती है ऐसी अंगड़ाई ,
कायनातों का राज़ देती है ,
शेर माँगूं बयाज़2 देती है
१ क्षमा याचना २ कविता-पोथी
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