रूबाइयाँ
पीटते रहोगे ये लकीरें कब तक?
याद करोगे माज़ी की तीरें कब तक,
मुस्तकबिल पामाल किए हो यारो,
हर हर महादेव, तक्बीरें कब तक?
माद्दा परस्ती में है बिरझाई हुई,
नामूस ए खुदाई पे है ललचाई हुई,
इंसानी तरक्की से कहो जल्द मरे,
है आलम ए बाला से खबर ई हुई.
मोमिन ये भला क्या है, दहरया क्या है,
आला है भला कौन, ये अदना क्या है,
देखो कि मुआश का क्या है ज़रीआ?
जिस्मों में रवां खून का दरिया क्या है?
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