मुस्कुराहटें
साझेदारी
फ़न का माहिर हूँ ज़ात रखता हूँ ,
मैं उरूज़ी बिसात रखता हूँ ,
बस कि आवाज़ ही नहीं पाई ,
तुम में मूसूक़ी है मेरे भाई .
आओ ग़जलों का कारोबार करें ,
अपनी ग़ुरबत को शर्म सार करें ,
दाल रोटी का कुछ सहारा हो ,
ग़ज़लें मेरी गला तुम्हारा हो ,
आधे आधे की हिस्से दारी हो ,
मैं हूँ शायर कि तुम मदारी हो .
वज़ीरो-वज़अदार हो कि शाओशुतुर..,
ReplyDeleteबाज़ी-दर बाज़ी शहो-मात रखता हूँ.....
हम्म माल उम्दा है बिकेगा नहीं..,
ReplyDeleteजब तलक समँदर का कनारा न हो.....