Tuesday, November 12, 2013

junbishen 101

nazm 

सर-गर्मी

आ तुझे चोटियों पे दिखलाएं,
घाटियों में अजीब मंज़र है,
साफ़ दिखते हैं बर्फ़ के तोदे,
हैं पुराने हज़ारों सालों के,

बर्फ़ में मुन्जमिद सी हैं लाशें,
मगर पिंडों में कुलबुलाहट है,
बस कि सर हैं, जुमूदी आलम में,
अजब जुग़राफ़ियाई है घाटी,

आओ चल कर ये बर्फ़ पिघलाएं,
उनके माथे को थोड़ा गरमाये
उनके सर में भरा अक़ीदा है,
आस्थाओं का सड़ा मलीदा है।

१-जमी हुई २-भौगोलिक

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