रुबाइयाँ
औरत को गलत समझे कि आराज़ी है,
यह आप के ज़ेहनों में बुरा माज़ी है,
यह माँ भी, बहन बेटी भी, शोला भी है,
पूछो कि भला वह भी कहीं राज़ी है.
क्यों तूने बनाया इन्हें बोदा यारब!
ज़ेहनों को छुए इनका अकीदा यारब,
पूजे जो कोई मूरत, काफ़िर ये कहें,
खुद क़बरी सनम पर करें सजदा यारब.
नन्हीं सी मेरी जान से जलते क्यों हो,
यारो मेरी पहचान से जलते क्यों हो,
तुम खुद ही किसी भेड़ की गुम शुदगी हो,
मुंकिर को मिली शान से जलते क्यों हो.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
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