दोहे
मन को इतना मार मत , मर जाएँ अरमान ,
अरमानों के जाल में, मत दे अपनी जान .
*
चित को क़ैदी कर गई , लोहे की दीवार
बड़ी तिजोरी में छिपी , दौलत की अंबार .
*
तुलसी बाबा की कथा, है धारा परवाह,
राम लखन के काल के, जैसे होएं गवाह।
*
भाई पडोसी को लड़ा, हो तेरा उद्धार,
अमरीका यरोप बेच लें, काई लगे हथियार
.
*
अम्रीका योरोप हैं जगे, जगे चीन जापान,
दीन धरम की नींद में, पड़ा है हिन्दुस्तान.
No comments:
Post a Comment