रुबाइयाँ
हदों के टट्टू
इक उम्र
पे रुक जाए,
जूँ बढ़ना क़द
का,
कुछ लोगों
में हश्र है,
इसी तरह खिरद
का,
मुजमिद खिरद
को ढोते हैं
सारी उम्र,
रहता है
सदा पास मुसल्लत
हद का.
*
सोई हुई उम्मत
कुछ रुक
तो ज़माने को
जगा दूं तो
चलूँ,
मैं नींद
के मारों को
हिला दूं तो
चलूँ,
ऐ मौत
किसी मूज़ी को
जप कर आजा,
सोई हुई
उम्मत को
उठा दूं तो
चलूँ.
*
औरतें तुम्हारी खेतियाँ हैं
औरत को
गलत समझे कि
आराज़ी है,
यह आप
के ज़ेहनों में
बुरा माज़ी है,
यह माँ
भी, बहन बेटी
भी, शोला भी
है,
पूछो कि
भला वह भी
कहीं राज़ी है.
*
फुसफुसा फुसफुसा ईमान
क्यों तूने
बनाया इन्हें
बोदा यारब!
ज़ेहनों को
छुए इनका अकीदा
यारब,
पूजे जो
कोई मूरत, काफ़िर
ये कहें,
खुद क़बरी
सनम पर करें
सजदा यारब.
बेहतरीन..................
ReplyDeleteकठिन लफ़्ज़ों के मायने भी लिख दें तो और मज़ा आये हम कमअक्लों को..
सादर
अनु