Friday, December 19, 2008

अपील


अपील


लिपटे-लिपटे सदियाँ गुज़रीं, वहेम् की इन मीनारों से ,


मन्दिरमस्जिद, गिरजा, मठ और दरबारी दीवारों से ,


अन्याई उपदेशों से, और कपट भरे उपचारों से ,


दोज़ख, जन्नत की कल्पित, इन अंगारों ,उपहारों से .




बहुत अनोखा जीवन है ये, इन पर मत बरबाद करो ,


माज़ी के हैं मुर्दे ये सबइनको मुर्दाबाद करो ,


इनका मंतर उनका छू, निज भाषा में अनुवाद करो .


निजता का काबा काशी, निज चिंतन में आबाद करो.






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