Friday, December 19, 2008

मंसूरी1 आइना




मंसूरी1 आईना



दस्तख़त किसके हैं, मख़लूक़ की शक्ल ओ सूरत?
किसकी तहरीर है, फ़ितरत की ये नक़्ल ओ हरकत ?

इसकी तशरीह4 किया करते हैं, पंडित,मुल्ला,
अपनी दूकानें लिए बैठे हैं, बुत और अल्लाह।

खोज 'उसकी'अगर जो चाहता है, ख़ुद में कर',
'उसके' हर राज़ का हमराज़ है, ये तेरा सर।

राएगां जाते हैं, तेरे ये शबो-रोजी सुजूद ,
था अनल हक़ की स,दाओं में किसी हक़ का वजूद।

ख़ुद को पहचान तू ,महकूमी७ को दुश्नाम ,

ख़ुद को पा जाए तो, जीता हुआ इनआम समझ।

 
१-एक अरबी संत जिसने स्वयम में इश्वर ईश्वर होने का एलन किया २-प्राणि.३-गति-विधि ४-vyaakhyaa 5 -vyarth 6 - सजदे ७-गुलामी ८-गाली
















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