Tuesday, April 16, 2013

Junbishen (3)



मअज़रत1 

मेरे यारो ! न गर बुरा मानो ,
देर तक मेरे पास मत बैठो ,
मेरी दुल्हन उदास होती है ,
तनहा पाकर ही पास होती है 

मेरी दुल्हन है मेरी तन्हाई ,
लेके आती है ऐसी अंगड़ाई ,
कायनातों का राज़ देती है ,
शेर माँगूं बयाज़2 देती है 

१ क्षमा याचना २ कविता-पोथी 

1 comment:

  1. ज़रा दुल्हन से कहो तुम्हे आव़ाज ना दिया करे..,
    बयाज़ दिया करे दिल के राज़ ना दिया करे.....

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