Friday, April 12, 2013

Junbishen 2nd Part (1)

नज्म 


बइस्म ए सिद्क़ 1
(सच्चाई के नाम से शुरू करता हूँ )

यह जुम्बिशें हैं दिल की, बेदारी2 सू ए ज़न2+ की ,
हैं रूह की खराशें, टीसें हैं मेरे मन की ।

रस्मो की बारगाहें3 ,बाज़ार हैं चलन की ,
बोसीदा4 हो चुकी हैं, दूकानें यह सुख़न5 की ।

फ़रमान ए  साबक़ा6 के, ऐ बाज़ गाश्तो7 ठहरो ,
अब होगी आज़माइश, थोड़े से बांकपन की ।

आतश फिशां8 की नोबत, आए तो क्यूं न आए ,
बेचैन हो चुकी हैं, पाबंदियां दहन* की ।

जिस झूट में सदाक़त10, साबित हुई हो शर से ,
उस सिद्क़11 को ज़रूरत है गोर12 और कफ़न की ।

तालीम नव13 के तालिब14, अब अर्श१५ छू रहे हैं ,
डोरी न इनको खींचे, इन शेखो बरहमन की

गर दिल पे बोझ आये, ईमान छट पटाए ,
ऐसे क़फ़स१६से निकलो, छोडो फ़िज़ा चुभन की ।

हम सब ही आलमीं17हैं, भूगोल सब की माँ है ,
आओ बढाएं अज़मत18, हम मादर ए वतन की।

धर्मो से पाई मुक्ति, मज़हब से पाई छुट्टी ,
इंसानियत की बूटी, पीडा हरे है मन की ।

तामीर19 में है बाकी, जो ईंट, वोह है 'मुंकिर',
मेमार20 इसको चुन दे, तकमील21 हो चमन की।

१-प्रचलित बिस्मिल्लाह या श्री गणेश २-जागरण 2+ MITURITY३-दरबार ४-जीर्ण ५-वाणी ६-पुरानेआदेश ७-प्रति -ध्वनी
८-ज्वाला-मुखी ९-मुख (दहन =मुँह)१० सत्यता 11-सत्य 12 -कब्र १३-नवीं शिक्छा १४-इच्छुक १५-आकाश १६-पिंजडा १७-अन्तर राष्ट्रीय 18 मर्यादा 19-रचना 20-रचना कार २१-सम्पूर्णता.

3 comments:

  1. बहुत उम्दा ,आपभी अनुशरण करें ,ख़ुशी ही होगी
    LATEST POSTसपना और तुम

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  2. आपकी रचनाओं के साथ प्रस्तुतिकरण भी बढ़िया है वर्ना उर्दू कम जानने वालों के लिए रचना का आनन्द उठाना मुश्किल हो जाए

    प्लीज टिप्पणी से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये टिप्पणी करने में उलझन होती है

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  3. शेरो-नज्मो-अशआर के फ़नकार बहोंत है..,
    यह ग़ालिब का मुल्क यहाँ सुखनबार बहोंत हैं.....

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