Wednesday, August 19, 2015

Junbishen 676

नज़्म 


बेदारियाँ  

तुम्हारी हस्ती में, रूपोश१ इक खज़ाना है,
तुम्हारी हिस२ की, कुदालों को धार पाना है।

इसे तमअ३ के तराज़ू में तोलना न कभी,
किसी भी हाल में, कीमत नहीं लगाना है।

जो ख़ाली हाथ ही जाते हैं, उनको जाने दो,
तुम्हारे हाथ तजस्सुस५ भरे ही जाना है।

तुम्हीं को चुनना है, हर फूल अपने ज़ख्मो के,
सदा मदद की, कभी भी नहीं लगाना है।

सरों पे कूदती माज़ी६ की, इन किताबों को,
ज़रूर पढ़ना, मगर हाँ कि, यह फ़साना हैं।

हैं पैरवी यह सभी दिल पे बंदिशे 'मुंकिर',
जो साज़ ख़ुद है बनाया, उसे बजाना है।

0-जागरण २-ओझल होना ३-आभस ४- लालच ५कौतूहल ६-अतीत

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