Saturday, September 22, 2012

रुबाइयाँ


रुबाइयाँ  



इंसान नहीफ़ों को दवा देते हैं, 
हैवान नफीफ़ों को मिटा देता हैं, 
है कौन समझदार यहाँ दोनों में? 
कुछ देर ठहर जाओ, बता देते हैं. 

यह मर्द नुमायाँ हैं मुसीबत की तरह,
यह ज़िदगी जीते हैं अदावत की तरह ,
कुछ दिन के लिए निस्वाँ क़यादत आए, 
खुशियाँ हैं मुअननस सभी औरत की तरह. 
*

सद-बुद्धि दे उसको तू निराले भगवन, 
अपना ही किया करता है पैहम नुक़सान, 
नफ़रत है उसे सारे मुसलमानों से, 
पक्का हिन्दू है वह कच्चा इन्सान. 
* 

जन्मे तो सभी पहले हैं हिन्दू माई! 
इक ख़म माल जैसे हैं ये हिन्दू भाई, 
इनकी लुद्दी से हैं ये डिज़ाइन सभी, 
मुस्लिम, बौद्ध, सिख हों या ईसाई. 

गुफ़्तार के फ़नकार कथा बाचेंगे, 
मुँह आँख किए बंद भगत नाचेंगे, 
एजेंट उड़ा लेंगे जो थोड़ी इनकम, 
महराज खफ़ा होंगे बही बंचेगे. 

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