रुबाइयाँ
औलादें बड़ी हो गईं, अब उंगली छुडाएं ,
हमने जो पढाया है इन्हें, वो हमको पढ़ें,
हो जाएँ अलग इनकी नई दुनया से,
माँ बाप बचा कर रख्खें, अपना खाएँ.
कुछ जीने उरूजों के हैं, लोगो चढ़ लो,
रह जाओगे पीछे, जरा आगे बढ़ लो,
चश्मा है अकीदत का उतारो इसको ,
मत उलटी किताबें पढो, सीधी पढ़ लो.
कुछ जीने उरूजों के हैं, लोगो चढ़ लो,
रह जाओगे पीछे, जरा आगे बढ़ लो,
चश्मा है अकीदत का उतारो इसको ,
मत उलटी किताबें पढो, सीधी पढ़ लो.
बतलाई हुई राह, बसलना है तुम्हें,
सांचा है कदामत का, न ढलना है तुम्हें,
ये दुन्या बहुत आगे निकल जाएगी,
अब्हाम के आलम से निकलना है तुम्हें.
ज़ालिम के लिए है तेरी रस्सी ढीली,
मजलूम की चड्ढी रहे पीली गीली,
औतार ओ पयम्बर को, दिखाए जलवा,
और हमको दिखाए, फ़क़त छत्री नीली.
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