Thursday, July 12, 2012

रुबाइयाँ


रुबाइयाँ    

कुछ जीने उरूजों के हैं, लोगो चढ़ लो,
रह जाओगे पीछे, जरा आगे बढ़ लो, 
चश्मा है अकीदत का उतारो इसको , 
मत उलटी किताबें पढो, सीधी पढ़ लो.
*
है मुक्ति का अनुमान, जनम अच्छा है,
जन्नत के है इमकान, भरम अच्छा है, 
कहते हैं सभी मेरा धरम अच्छा है,
आमाल हैं अच्छे, न करम अच्छा है. 

बतलाई हुई राह, बसलना है तुम्हें,
सांचा है कदामत का, न ढलना है तुम्हें,
ये दुन्या बहुत आगे निकल जाएगी,
अब्हाम के आलम से निकलना है तुम्हें.
*
ज़ालिम के लिए है तेरी रस्सी ढीली,
मजलूम की चड्ढी रहे पीली  गीली,
औतार ओ पयम्बर को, दिखाए जलवा,
और हमको दिखाए, फ़क़त छत्री नीली.
*
है रीश रवाँ, शक्ल पे गेसू है रवां,
हँसते हैं परी ज़ाद सभी, तुम पे मियाँ, 
मसरूफ इबादत हो, मशक्क़त बईद,
करनी नहीं शादी तुम्हें? कैसे हो जवान.

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