Saturday, August 27, 2011

ग़ज़ल - - - इस्तेंजाए खुश्क की इल्लत में लगे हैं




इस्तेंजाए खुश्क की इल्लत में लगे हैं,
वह बे नहाए धोए तहारत में लगे हैं.#
 
मीरास की बला ये बुजुर्गों से है मिली,
तामीर छोड़ कर वह अदावत में लगे हैं.
 
वह गिर्द मेरे अपनी गरज ढूँढ रहा है,
हम बंद किए आँख मुरव्वत में लगे हैं.
 
दोनों को सर उठाने की फुर्सत ही नहीं है,
खालिक से आप, हम है कि खिल्क़त से लगे हैं.
 
तन्हाई चाहता हूँ तड़पने के लिए मैं,
ये सर पे खड़े मेरी अयादत में लगे हैं.
 
"मुंकिर" ने नियत बांधी है अल्लाह हुअक्बर,
फिर उसके बाद आयते गीबत में लगे हैं.$
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# इस शेर का मतलब किसी मुल्ला से दरयाफ्त करें.*मीरास=पैत्रिक सम्पत्ति *तामीर=रचनात्मक कार्य *खालिक=खुदा *अयादत =पुरसा हाली $=कहते हैं की नमाज़ पढ़ते समय शैतान विचारो में सम्लित हो जाता है.

1 comment:

  1. बहुत बढ़िया।
    जन आन्दोतन की विजय पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

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