रुबाइयाँ
सच्चे को बसद शान ही, बन्ने न दिया
बस साहिबे ईमान ही, बन्ने न दिया
पैदा होते ही कानों में, फूँक दिया झूट
इंसान को इंसान ही, बन्ने न दिया
*
ये लाडले, प्यारे, ये दुलारे मज़हब
धरती पे घनी रात हैं, सारे मज़हब
मंसूर हों, तबरेज़ हों, या फिर सरमद
इन्सान को हर हाल में, मारे मज़हब
ये लाडले, प्यारे, ये दुलारे मज़हब
धरती पे घनी रात हैं, सारे मज़हब
मंसूर हों, तबरेज़ हों, या फिर सरमद
इन्सान को हर हाल में, मारे मज़हब
*
हैवान हुवा क्यूँ न भला, तख्ता ए मश्क़
इंसान का होना है, रज़ाए अहमक
शैतान कराता फिरे, इन्सां से गुनाह
अल्लाह करता रहे, उट्ठक बैठक
हैवान हुवा क्यूँ न भला, तख्ता ए मश्क़
इंसान का होना है, रज़ाए अहमक
शैतान कराता फिरे, इन्सां से गुनाह
अल्लाह करता रहे, उट्ठक बैठक
*****
बहुत खूब। एक शायर की पंक्तियाँ हैं कि-
ReplyDeleteयह देखकर पतंगें भी हैरान हो गयी।
अब तो छतें भी हिन्दू मुसलमान हो गयीं।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
waah ...bahut bahut achchhi rachna
ReplyDeleteमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
अहा जुनैद साब....
ReplyDeleteसुंदर !
विशेष कर इस "बन्ने न दिया" की अदा ने मन मोह लिया।
और विनती है आपसे सर कि इस वर्ड-वेरिफिकेशन को हटा दीजिये अपने सेटिंग से। इससे कोई फायदा नहीं होता ...उल्टा टिप्पणी करने वाले को हतोत्साहित करता है।
ReplyDeleteहैवान हुवा क्यूँ न भला तख्ता ए मश्क़,
ReplyDeleteइंसान का होना है रज़ाए अहमक,
शैतान कराता फिरे इन्सां से गुनाह,
अल्लाह करता रहे उट्ठक बैठक. nice
Namaskaar,
ReplyDeletemain kaunsa band uthaaun..main kis misre ki taareef karun...baat seedhe dil par lagi hai. bharpoor daad... main aapse personally contact karna chahta tha par apka email nahi milaa. ap bahut umdaa likhte hain.
Gaurav
बहुत ही उम्दा और मेआरी ख़यालात से
ReplyDeleteरु.ब.रु होने का मौक़ा मिला है
ऐसी खूबसूरत रुबाइयात के लिए
मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं