हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (08-04-2015) को "सहमा हुआ समाज" { चर्चा - 1941 } पर भी होगी! -- सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हिन्दू के लिए मैं इक मुस्लिम ही हूँ आख़िर,
मुस्लिम ये समझते हैं गुमराह है काफिर,
इनसान भी होते हैं कुछ लोग जहाँ में,
गफलत में हैं ये दोनों ,समझाएगा
'मुंकिर'।
हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (08-04-2015) को "सहमा हुआ समाज" { चर्चा - 1941 } पर भी होगी!
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'