आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-12-2014) को "कौन सी दस्तक" (चर्चा-1835) पर भी होगी।--सादर...!डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अशुभ बेष भूषन धरें, भच्छाभच्छ जे खाहिं । तेइ सिद्ध तेइ नर पूजित ते कलजुग माहि ॥ ----- ॥ गोस्वामी तुलसी दास ॥ -----भावार्थ : -- जो अमंगल वेश व् अमंगल भूषण धारण करते हैं उर भक्ष्य-अभक्ष्य सब कुछ खा जाते हैं । कलियुग में वे मनुष्य सिद्ध हैं, योगी हैं, पूज्यनीय हैं ॥
शायरी आपकी बडी मुश्किल है,फिर भी पढने को मन किया।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-12-2014) को "कौन सी दस्तक" (चर्चा-1835) पर भी होगी।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अशुभ बेष भूषन धरें, भच्छाभच्छ जे खाहिं ।
ReplyDeleteतेइ सिद्ध तेइ नर पूजित ते कलजुग माहि ॥
----- ॥ गोस्वामी तुलसी दास ॥ -----
भावार्थ : -- जो अमंगल वेश व् अमंगल भूषण धारण करते हैं उर भक्ष्य-अभक्ष्य सब कुछ खा जाते हैं । कलियुग में वे मनुष्य सिद्ध हैं, योगी हैं, पूज्यनीय हैं ॥
शायरी आपकी बडी मुश्किल है,
ReplyDeleteफिर भी पढने को मन किया।