Saturday, December 20, 2014

Deewan 43 Ghazal


3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-12-2014) को "कौन सी दस्तक" (चर्चा-1835) पर भी होगी।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. अशुभ बेष भूषन धरें, भच्छाभच्छ जे खाहिं ।
    तेइ सिद्ध तेइ नर पूजित ते कलजुग माहि ॥
    ----- ॥ गोस्वामी तुलसी दास ॥ -----

    भावार्थ : -- जो अमंगल वेश व् अमंगल भूषण धारण करते हैं उर भक्ष्य-अभक्ष्य सब कुछ खा जाते हैं । कलियुग में वे मनुष्य सिद्ध हैं, योगी हैं, पूज्यनीय हैं ॥

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  3. शायरी आपकी बडी मुश्किल है,
    फिर भी पढने को मन किया।

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