Sunday, April 29, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 44



44 

इस्तेंजाए ख़ुश्क की, इल्लत में लगे हैं,
वह बे नहाए धोए, तहारत में लगे हैं.

मीरास की बला, ये बुज़ुर्गों से है मिली,
तामीर छोड़ कर वह, अदावत में लगे हैं.

वह गिर्द मेरे, अपनी ग़रज़  ढूँढ रहा है,
हम बंद किए आँख, मुरव्वत में लगे हैं.

दोनों को सर उठाने की, फ़ुर्सत ही नहीं है,
ख़ालिक़ से आप, हम है कि ख़िलक़त से लगे हैं.

तन्हाई चाहता हूँ , तड़पने के लिए मैं,
ये सर पे खड़े, मेरी अयादत में लगे हैं.

'मुंकिर' ने नियत बांधी है, अल्लाह हुअक्बर,
फिर उसके बाद, आयत ए ग़ीबत में लगे हैं.

# इस शेर का मतलब किसी मुल्ला से दरयाफ्त करें.*मीरास=पैत्रिक सम्पत्ति 
*तामीर=रचनात्मक कार्य *खालिक=खुदा *अयादत =पुरसा हाली 
$=कहते हैं की नमाज़ पढ़ते समय शैतान विचारो में सम्लित हो जाता है.

،استنجا۶ خُشک کی علّت میں لگے ہیں 
وہ بے نہاے دھوے طہارت میں لگے ہیں٠

،میراث کی بلا یہ بُزرگوں سے ملی ہے 
تعمیر چھوڑ کر، وہ عداوت میں لگے ہیں٠ 

،وہ گرد میرے، اپنی غرض ڈھونڈھ رہا ہے 
ہم بند کئے آنکھ ، مُروّت میں لگے ہیں٠ 

،دونوں کو سر اُٹھانے کی، فُرصت ہی نہیں ہے 
خالق سے آپ اور ہم ، خلقت سے لگے ہیں٠ 

،تنہائی چاہتا ہوں تڑپنے کے لئے میں 
یہ سر پہ کھڑے میری، عیادت میں لگے ہیں٠ 

،منکر نے نیت باندھی ہے، الله اکبر
پھر اُسکے بعد آیتِ غیبت میں لگے ہیں٠  

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