Friday, July 12, 2019

जुंबिशें दोहे

दोहे 

धन साधन चुक जाए जब , भूख का हो आभास ,
मुंकिर नाक दबाए के रोकीं लीनेह सांस .

دھن سادھن چک جاۓ جب ، بھوک کا ہو آبھاس
منکر ناک دباۓ کے ، روک لیں اپنی سانس
**
देखो उसके बाल ओ पर निकले हैं शादाब ,
सब से पहले ए हवा , दे मेरे आदाब .

 دیکھو انکے بال و پر ، نکلے ہیں شاداب  
سب سے پہلے ائے ہوا ، میرا دے آداب ٠ 

Thursday, July 11, 2019

मुस्कुराहटें


मुस्कुराहटें 
शेखू ----

हर सच पे ही लाहौल1 पढ़ा करता है शेखू ,
हर झूट दलीलों से गढ़ा करता है शेखू.

चाट करता है बेवाओं, यतीमों की अमानत,
कुफ़्फ़ारा2 दुआओं से, अदा करता है शेखू.

देता है सबक़ सब को, क़िनाअत 3की सब्र की.
ख़ुद मुर्ग़ ए मुसल्लम पे, चढ़ा करता है शेखू.

दो बीवी निंभाता है, शरीअत4 के तहत वह,
दोनों को फ़क़त निस्फ़,5 अता करता है शेखू.

हर शाम मुरीदों को चराता है इल्मे-ताक़,
हर सुब्ह इल्मे-ख़ाक पढ़ा करता है शेखू.

बख्शेगी इसे दुन्या, न बख्शेगा ख़ुदा ही,
'मुंकिर' ये ख़ताओं पे ख़ता करता है शेखू.

१-धिक्कार २- प्रायश्चित ३-संतोष ४-धर्म-विधान ५-आधा


شیخوووو 


ہر سچ پہ ہی لاحول، پڑھا کرتا ہے شیخو 
ہر جھوٹ دلیلوں سے، گڑھا کرتا ہے  شیخو٠ 

چٹ کرتا ہے بیواؤں ، یتیموں کی امانت 
کفّارہ دعاؤں سے، ادا کرتا ہے  شیخو٠ 

دیتا ہے سبق سب کو، قناعت کی رضا کی 
خود مرغ مسلّم پہ، چڑھا کرتا ہے  شیخو ٠ 

دو بیوی نبھاتا ہے ، شریعت کے تحت وہ 
دونوں کو فقط نصف، دیا کرتا ہے  شیخو٠ 

ہر شام مریدوں کو،  چراتا ہے حدیثیں 
خود جنکو شب و روز، گڑھا کرتا ہے شیخو ٠ 

بخشیگی اسے دنیا ، نہ بخشےگا خدا ہی 
منکرجی ! خطاؤں پہ خطا کرتا ہے  شیخو ٠ 

Wednesday, July 10, 2019

क़तआत

क़तआत


ढलान 

हस्ती है अब नशेब मे, सर है ढलान पर,
कोई नहीं कि, मेरे लिए खेले जान पर,
ख़ुद साए ने भी मेरे, यूँ तक़रार कर दिया,
सर पे है तेरे धूप, मेरा क़द है आन पर.
नशेब=नीचे ,

ڈھلان
ہستی ہے اب نشیب میں ، سر ہے ڈھلان پر 
کوئی نہیں جو میرے لئے ، کھیلے جان پر 
خود ساۓ نے بھی میرے ، یوں تکرار کر دیا 
سررج ہے میرے سر پہ ، مرا قد ہے ان پر ٠ 


इबरत का नज़ारा 

शमशान में जलती हुई, लाशों का नज़ारा,
या कब्र में उतरी हुई, मय्यत का इशारा,
देते हैं ये जीने का सबक़, अह्ल ए हवस को,
समझो तो समझ पाओ, कि कितना हो तुम्हारा   
عبرت کا نظارہ

شمشان میں جلتی ہوئی ، لاشوں کا نظارہ 
یا قبر میں اتری ہوئی ، میّت کا اِشارہ 
دیتے ہیں یہ جینے کا سبق ، اہلِ ہوس کو 
سمجھو تو سمجھ پاؤ کہ ، ہو کتنا تمہارا٠


काफ़ 

यह काफ़ सवालों का, उठाए है पिटारा,
कब?कौन?कहाँ?कैसे?कितने? हैं गवारा,
आ जाए सवालों में अगर क्यों?या मगर क्यों?
चढ़ जाता है सुन कर इसे ठहरा हुवा पारा।
    
کاف
یہ کاف سوالوں کا اٹھاۓ ہے پٹارہ 
کب، کون، کہاں، کیسے، کتنے، ہیں گوارہ
 جاۓ سوالوں میں اگر کیون یا مگر کیوں ؟
چڑھ جاتا ہے سُن کر اسے ، ٹھہرا ہوا پارہ٠ 

Tuesday, July 9, 2019

जुंबिशें रुबाइयात

रुबाइयात

जब तक नहीं जागोगे दलित और पिछडो,
आपस में लड़ोगे यूं ही शोषित बंदो,
ग़ालिब ही रहेंगे तुम पे ये मनुवादी,
ऐ अ.क्ल के अन्धो! और करम के फूटो !!

جب تک نہیں جاگوگے ، دلِت اور پِچھڑو 
آپس میں لڑوگے یوں ہی ، شوشِت بندو
کرتے ہی رہینگے راج ، منو وادی لوگ 
اے عقل کے اندھو ، اور کرم کے پھوٹو٠   

**
क्या शय है मनुवाद तेरा खोटा निज़ाम,
महफूज़ बरहमन के लिए हर इक जाम,
मैं ने है पढ़ा तेरी मनु स्मृति में,
सर शर्म से झुकता है, तेरा पढ़ के पयाम.

کیا شے ہے ، منو واد ، ترا کھوٹا نظام 
محفوظ برہمن کے لئے ، ہر اک جام 
میں نے ہے پڑھا ، تیری منو اسمرتی میں 
سر شرم سے جھکتا ہے ترا پڑھ کے پیام ٠  

***
मूसा सा अड़ा मैं तो क़बा खोल दिया, 
सदयों से पड़ी ज़िद की गिरह खोल दिया,
रेहल रख दिया, उसपे किताबे महशर,
पढ़ने के लिए उसने नदा खोल दिया.
क़बा=परिधान, महशर=क़यामत  

موسیٰ سا اڑا میں ، تو قبا کھول دیا 
صدیوں سے پڑی ضِد کی ، گِرہ کھول دیا 
رحل رخ دِیا ، اس پہ کتابِ محشر 
پڑھنے کے لئے ، اِس نے نِدا کھول دیا ٠ 

Monday, July 8, 2019

junbishen बड़ा सलाम


Nazm

बड़ा सलाम

ज़िंदगी इतनी क़ीमती भी नहीं,
यार कि, जितना तुम समझते हो.
यह रवायत1 के नज़्र होती है,
आधी जगती है, आधी सोती है.

तन का ढकना, है पेट का भरना,
धर्म ओ मज़हब की घास को चरना.
यह कभी क़र्ब२ से गुज़रती है,
कभी काटे नहीं, ये कटती है.

इसका अपना कोई निशाना हो,
ज़िन्दगी जश्न हो, तराना हो.
इसको मौके पे, काम आने दो,
जंगे-हक़३ पर, महाज़४ पाने दो.

इसका अंजाम, बालातर५ आए,
आख़िरी वक़्त में निखर जाए.
सच एलान कर के मर जाओ,
आख़िरी वक़्त में संवर जाओ.

मियां 'मुंकिर'! ज़रा सा काम करो,
ज़िंदगी को बड़ा सलाम करो.

१-कही सुनी बातें २-पीडा ३-सच्ची लडाई ४-मोर्चा ५-श्रेष्ट

بڑا سلام  

زندگی اتنی قیمتی بھی نہیں
یار کہ جتنا تم سمجھتے ہو
یہ روایت کے نذر ہوتی ہے
دن کو جگتی ہے رات سوتی ہے٠ 

تن کو ڈھکنا ہے ، پیٹ بھرنا ہے
دین دھرموں کی گھاس چرنا ہے
یہ سسکتے ہوئے گزرتی ہے،
کبھی کاٹے نہیں یہ کاٹتی ہے ٠

 اسکا اپنا کوئی نشانہ ہو
زندگی جشن ہو ترانہ ہو
اسکو موقع پہ کام آنے دو
جنگ حق کا پیام پانے دو٠ 

اسکا انجام بالا تر آے
آخری وقت میں نکھر جاۓ
سچ کا اعلان کر کے مر جاؤ  
آخری وقت میں سنوار جاؤ

میاں 'منکر' ذرا سا کام 
زندگی کو بڑا سلام  کرو ٠ 

Sunday, July 7, 2019

जुंबिशें ग़ज़ल


ग़ज़ल 

ग़ुस्ल व् वज़ू से, दाग़े अमल धो रहे हो तुम,
मज़हब की सूइयों से, रफ़ू हो रहे हो तुम.

हर दाना दाग़दार हुवा, देखो फ़स्ल का,
क्यूँ खेतियों में अपनी ख़ता, बो रहे हो तुम.

हथियार से हो लैस, हँसी तक नहीं नसीब,
ताक़त का बोझ लादे हुए, रो रहे हो तुम.

होना है वाक़ेआत ए मुसलसल वजूद का,
पूरे नहीं हुए हो, अभी हो रहे हो तुम.

इंसानी अज़मतों का, तुम्हारा ये सर भी है,
लिल्लाह पी न लेना, चरन धो रहे हो तुम.

"मुंकिर" को मिल रही है, ख़ुशी जो हक़ीर सी,
क्यूँ तुम को लग रहा है, कि कुछ खो रहे हो तुम.

*अजमतों=मर्याओं *लिल्लाह=शपत है ईश्वर की

غُسل و وضو سے داغِ عمل دھو رہے ہو تم
مذہب کی سوئیوں سے رفو ہو رہے ہو تم٠ 

ہر دانہ داغ دار ہوا، دیکھو فصل کا 
 کھیتیوں میں اپنی خطا بو رہے ہو تم٠ 

ہتھیار سے ہو لیس، ہنسی بھی نہیں نصیب 
طاقت کا بوجھ لادے ہوئے، رو رہے ہو تم٠ 

ہونا ہے واقعاتِ مسلسل وجود کا 
پورے نہیں ہوئے ہو، ابھی ہو رہے ہو تم٠ 

 انسانی عظمتوں کا، تمہارا یہ سر بھی ہے
لللہ پی نہ لینا، چرن دھو رہے ہو تم٠ 

منکر کو مل رہی ہے، خوشی جو حقیر سی 
 تم کویہ لگ رہا ہے، کہ کچھ کھو رہے ہو تم٠ 

Friday, July 5, 2019

जुंबिशें दोहे


दोहे 
काम किसी के आए न , वह मन का कंगाल ,
पूछे सब से खैरियत , पूछे सब से हाल .

کام کسی کے اے نہ وہ مان کا کنگال 
سب سے پوچھے خیریت ، پوچھے سب کا حال  
**
कूकुर से बछिया भए , बछिया से मृग राज 
नेता बैठे मंच पर , सर पे रख्खे ताज 

کوکر سے بچھیا بنے ، بچھیا سے مرگ راج 
نیتا بیٹھے منچ پر ، سر پہ  رکھکھے تاج 
***

अन चाह कुछ मशविरा , बिन माँगी कुछ राय ,
खा पी कर चलते बने , देकर राम सहाय 
.
ان چاہا کچھ مشورہ ، بن مانگی کچھ راۓ 
کھا پی کر چلتےبنے ، پنڈت رام سہاۓ  
****
दलित दमित शोषित सभी , धरम बदलते जाएँ ,
पूर्व जनम अंजाम को , पंडित जब तक गाएँ .

دلت دمت شوشت سبھی ، دھرم بدلتے جایں 
پورو جنم انجام کو پنڈت جب تک گاہیں 
*****

बस जा अपने आप में , फिर दुन्या की जान ,
पंडित जी की रागनी , मुल्ला जी की तान .

بس جا اپنے آپ میں ، پھر دنیا کی جان 
پنڈت جی کی راگنی ، مللہ جی کی تان 
*