Friday, April 27, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 42



42

उनकी हयात, उसकी नमाज़ों के वास्ते,
मेरी हयात, उसके ही राज़ों के वास्ते.

मुर्शिद के बाँक पन के, तक़ाज़ों को देखिए,
नूरानियत है, जिस्म गुदाज़ों के वास्ते.

मंज़िल को अपनी, अपने ही पैरों से तय करो,
है हर किसी का काँधा, जनाज़ों के वास्ते.

सासें तेरे वजूद की, नग़मो की नज़र हों,
जुंबिश बदन की हों, तो हों साज़ों के वास्ते.

गाने लगी है गीत वह, नाज़िल नुज़ूल की,
बुलबुल है आसमान के, बाज़ों के वास्ते.

मुंकिर वहां पे छूते, छुवाते हैं पैर को,
बज़्मे अजीब, दो ही तक़ाज़ों के वास्ते.

***

، اُنکی حیات ، اُسکی نمازوں کے واسطے
میری حیات اُسکے ہی، رازوں  کے واسطے٠ 

،مُرشد کے بانک پن کے تقاضوں کو دیکھئے 
نورانیت ہے، جسم گدازوں  کے واسطے٠  

،منزل کو اپنی، اپنے ہی پیروں سے طے کرو 
ہے ہر کسی کا کاندھا ، جنازوں  کے واسطے٠ 

،ساسیں تری وجود کے، نغموں کے نذر ہوں 
جنبش بدن کی ہو توہو، سازوں  کے واسطے٠ 

،گانے لگی ہے گیت، یہ نازل نُزول کے
بُلبُل ہے آسمان کے، بازوں  کے واسطے٠ 

،منکر وہاں پہ چھوتے، چُھلاتے ہیں پانو کو 
بزمِ عجب ہے، دو ہی تقاضوں  کے واسطے٠  

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