Saturday, April 28, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 43



43

चेहरे यहाँ मुखौटे हैं, और गुफ़्तुगू हुनर, 
खाते रहे फ़रेब हम, कमज़ोर थी नज़र.

हैं फ़ायदे भी नहर के, पानी है राह पर,
लेकिन सवाल ये है, यहाँ डूबे कितने घर ?

पाले हुए है तू इसे, अपने ख़िलाफ़ क्यूँ ,
ये खौ़फ़ दिल में तेरे, है अंदर का जानवर.

होकर जुदा मैं ख़ुद से, तुम्हारा न बन सका,
तुम को पसंद जुमूद था, मुझ को मेरा सफ़र.

पुख़्ता भी हो, शरीफ़ भी हो, और जदीद भी,
फिर क्यूँ अज़ीज़ तर हैं, तुम्हें कुहना रहगुज़र.

हस्ती का मेरे जाम, छलकने के बाद अब,
इक सिलसिला शुरू हो, नई राह ए पुर असर.

जुमूद=ठहराव *जदीद=नवीन *कुहना रहगुज़र=पुरातन मार्ग

***

،چہرے یہاں مُکھوٹے ہیں، اور گُفتگو ہُنر 
کھاتے رہے فریب کہ کمزور تھی نظر٠ 

،ہیں فائدے بھی نہر کے، پانی ہےراہ پر
لیکن سوال یہ ہے، یہاں ڈوبے کتنے گھر؟

،پالے ہوئے ہے تو، اسے اپنے خلاف ہی 
یہ خوف تیرا ہے، ترے اندر کا جانور٠ 

،ہوکر جدا میں خود سے، تمہارا نہ ہو سکا 
تم قایمِ جمود تھے، ہم مائلِ سفر٠ 

،صا لح بھی ہو ،شریف بھی، اور جدید بھی 
 پھر کیوں عزیز تر ہے، تمہیں کہنہ رہ گزر؟ 

،ہستی کا میری جام چھلکنے کے بعد اب 
اک سلسلہ شروع ہو، نئی را ہِ  پُر اثر٠ 

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