Monday, May 14, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 58 तुम तो आदी हो सर झुकाने के,


58

तुम तो आदी हो सर झुकाने के,
बात सुनने के, लात खाने के.

क्या नक़ाइस हैं, पास आने के,
फ़ायदे क्या हैं, दिल दुखाने के?

क़समें खाते हो, बावले बन कर,
तुम तो झूटे हो इक ज़माने के.

लब के चिलमन से, मोतियाँ झांकें,
ये सलीक़े हैं , घर सजाने के.

ले के पैग़ाम ए सुल्ह आए हो,
क्या लवाज़िम थे, तोप ख़ाने के.

मैं ने पूछी थी ख़ैरियत यूं ही,
आ गए दर पे, काट खाने के.

जिन के हाथों बहार बोई थीं, 
हैं वह मोहताज दाने दाने के.

*** 

،تم تو عادی ہو سر جُھکانے کے
بات سُننے کے، لات کھانے کے٠ 

،کیا نقائص ہیں پاس آنے کے
فائدے کیا ہیں دل دُکھانے کے٠ 

،قسمیں کھاتے ہو باؤلے بن کر 
تم تو جھوٹے ہو اِک زمانے کے٠

،لب کی چِلمن سے موتیاں جھاکیں 
یہ سلیقے ہیں گھر سجانے کے٠ 

لے کے پیغام صُلح آے ہو؟ 
کیا لوازم تھے توپ خانے کے٠ 

،میں نے پوچھی تھی خیریت یوں ہی 
آ گئے در پہ کاٹ کھانے کے٠ 

،جِن کے ہاتھوں بہار بوئی گئیں 
وہ ہیں محتاج دانے دانے کے٠ 

No comments:

Post a Comment