Saturday, May 5, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 49


49

ज़िन्दगी है कि मसअला है ये,
कुछ अधूरों का, सिलसिला है ये.

आँख झपकी तो, इब्तेदा है ये,
खाब टूटे तो, इन्तहा है ये.

वक़्त की सूईयाँ, ये सासें हैं,
वक़्त चलता कहाँ, रुका है ये.

ढूँढता फिर रहा हूँ , ख़ुद को मैं,
परवरिश, सुन कि हादसा है ये.

हूर व् ग़िल्मां, शराब, है हाज़िर,
कैसे जन्नत में सब रवा है ये.

इल्म गाहों के मिल गए रौज़न,
मेरा कालेज में दाख़िला है ये.

दर्द ए मख़लूक़ पीजिए मुंकिर
रूह ए बीमार की दवा ये हो.
रौज़न=रौशनदान 

***

،زندگی ہے کہ مسئلہ ہے یہ 
کچھ ادھوروں کا سلسلہ ہے یہ٠ 

،آنکھ جھپکی تو ابتدا ہے یہ
خواب ٹوٹے تو انتہا ہے یہ٠

،وقت کی سوئیاں یہ ساسیں ہیں 
وقت چلتا کہاں رُکا ہے یہ٠ 

،ڈھوڈھتا پھر رہا ہوں خود کو میں
پرورش! سُن کہ حادثہ ہے یہ٠ 

،حور و غلمه، شراب ہے حاضر 
کیسے جنّت میں سب روا ہے یہ٠ 

،علم گاہوں کے مل گئے روزن
میرا کالج میں داخلہ ہے یہ٠ 

،درد مخلوق پیجئے منکر 
روح بیمار کی دوا ہے یہ٠ 


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