Saturday, May 12, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 56 पास आ जाएँ तो कुछ बात बने,


56

पास आ जाएँ तो कुछ बात बने,
समझें समझाएँ तो कुछ बात बने.

मर्द से कम तो नहीं हैं लेकिन,
नाज़ दिखलाएँ तो कुछ बात बने.

जुज़्व ए आदम! क़सम है हव्वा की,
बहकें, बह्काएँ तो कुछ बात बने.

क़ुर्बत ए वस्ल1 की अज़मत समझें,
थोड़ा शर्माएँ, तो कुछ बात बने.

ख़ाना दारी से हयातें हैं रवाँ,
घर को महकाएँ तो कुछ बात बने.

तूफाँ रोकेंगे नरीना2 बाज़ू,
पीछे आ जाएँ तो कुछ बात बने.

कौन रोकेगा तुम्हें अब 'मुंकिर'
हद जो पा जाएँ तो कुछ बात बने.

१-मिलन की निकटता 2- मर्दाना 

،پاس آ جائیں تو کچھ بات بنے 
سمجھیں سمجھا ئیں، تو کچھ بات بنے٠ 

،مَردوں سے کم تو نہیں ہیں لیکن
ناز دِکھلا ئیں تو کچھ بات بنے٠

،جزوِ آدم ہے قسم حوّا کی 
بہکیں بہکائیں تو کچھ بات بنے٠

،قُربتِ وصل کو عظمت بخشیں 
تھوڑا شرما ئیں تو کچھ بات بنے٠ 

،خانہ داری سے حیاتیں ہیں رواں 
گھر کو مہکائیں تو کچھ بات بنے٠

،طوفان روکیںگے نرینہ بازو 
پیچھے آجائیں تو کچھ بات بنے٠

،کون روکےگا تمہیں اب منکر 
حَد جو پا جائیں تو کچھ بات بنے٠

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