Sunday, August 26, 2018

जुंबिशें - - - नज़्म 40 महा जननी भवः


40

महा  जननी भवः

ठहरो, वर-माला मत डालो, दो इक सदियाँ टालो,
बधू , तुम्हारा वर कैसा हो? खोजो और खंगालो.

संस्कार की जड़ता देखो, भूल चूक स्वीकारो,
नव दर्शन की महिमा समझो, अंधी सोच निकालो.

मिथ्या,पाखंड,भेद भाव और दीन धरम के मारे,
हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बौध, जैन मत पालो.

जिस ने जीत लिया हो जग को, मर्यादा रच ली हो,
ऐसा सरल, सबल, शुभ, साथी मिले तो शीश नवा लो.

स्मारक बन जाएँ तुम्हारी संताने क्षित्जों पर,
एक महा मानव को जन्मो, उसमे सब को ढालो.

डावांडोल है धरती माता, नीच हीन हाथों में,
धरती जननी तुम भी जननी, धरती तुम ही संभालो.

ठहरो वर-माला मत डालो ----

مہا جننی بھوہ 

،ٹھہرو! ور مالا مت ڈالو ، دو اک صدیاں ٹالوتم 
ودھو! تمہارا ور کیسا ہو ، کھو جو اور کہنگالوتم ٠

،سنسکار کی جڑتا دیکھو ، بھول چوک سویکاروتم 
نو درشن کی مہما سمجھو ،اندھکار نکالو تم٠

،پاکھنڈ متھیہ بھید بھاؤ اور دین دھرم کے مارے 
ہندو مسلم سکھ عیسائی ، جیں بودهیہ مت پالوتم ٠

،جس نے جیت لیا ہو جگ کو ، مریادہ رچ لی ہو 
ایسا سرل سبل شدھ مانو ، ملے تو شیش  نوا لوتم ٠

،ا سمارک بن جایں تمہاری سنتانیں چھتجوں پر 
ایک مہا منو کو جنمو ، اسمیں سب کو ڈھالوتم ٠

ٹھہرو ور مالا مت - - - -

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