Tuesday, August 14, 2018

जुंबिशें - - - नज़्म 28 सर-गर्मी


28

सर-गर्मी (कौतूहल)

आ तुझे चोटियों पे दिखलाएं,
घाटियों में अजीब मंज़र है,
साफ़ दिखते हैं बर्फ़ के तोदे,
हैं पुराने हज़ारों सालों के,
बर्फ़ में मुन्जमिद सी हैं लाशें,
मगर पिंडों में कुलबुलाहट है,
बस कि सर हैं, जुमूदी2आलम में,
अजब जुग़राफ़ियाई3 है घाटी,
आओ चल कर ये बर्फ़ पिघलाएं,
उनके माथे को थोड़ा गरमाये
उनके सर में भरा अक़ीदा है,
आस्थाओं का सड़ा मलीदा है।

१-जमी हुई 2-जमा हुवा 3 -भौगोलिक

سر گرمی

،آ تجھے چوٹیوں پہ دِکھلایں 
،گھاٹیوں میں عجیب منظر ہے 
،صاف دِکھتے ہیں برف کے تودے 
،ہیں پرانے ہزاروں سالوں کے 
،برف میں منجمِد سی لاشیں ہیں 
،اِنکے پِنِڈوں میں کُلبلاہٹ ہے 
،سر مگر ہیں جمودی عالم میں 
،آؤ چل کر یہ برف پگِھلأیں 
اِنکے ماتھوں کو تھوڑا گارمین ٠  

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