Monday, July 30, 2018

जुंबिशें - - - नज़्म 1३



13

शक बहक़ 

यक़ीं बहुत कर चुके हो यारो,
इक मरहला1 है, गुमाँ2 को समझो.
यक़ीं है अकसर तुम्हारी ग़फ़लत,
ख़िरद3 के आबे-रवां को समझो .

अक़ीदतें और आस्थाएँ,
यक़ीं की धुंधली सी रह गुज़र4 हैं.
ख़रीदती हैं यह सादा लौही5,
यक़ीं की नाक़िस दुकाँ को समझो .

१-पड़ाव २-अविश्वाश का उचित मार्ग ३-अक्ल ४-सरल स्वभाव ५-हानि करक

شک  بحق

،یقیں بہت کر چکے ہو یارو 
ہے مرحلہ اک گماں کو سمجھو ٠
،یقیں ہے اکثر تمہاری غفلت 
خرد کے آبِ رواں کو سمجھو ٠
،عقیدتیں اور آستھیں 
،یقیں کی دھندھلی سی رہ گزر ہیں 
،خریدتی ہیں یہ سادہ لوحی 
یقیں کی ناقص دکاں کو سمجھو ٠   

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