Friday, July 13, 2018

जुंबिशें - - - नज़्म 0 कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई



नज़्में  

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हिन्दू के लिए मैं इक, मुस्लिम ही हूँ आख़िर ,
मुस्लिम ये समझते हैं, गुमराह है काफ़िर ,
इंसान भी होते हैं, कुछ लोग जहाँ में ,
ग़फ़लत में हैं यह दोनों, समझाएगा 'मुंकिर' .

***

،ہندو کے لئے میں اک مسلم ہی ہوں آخر
،مسلم یہ سمجھتے ہیں گمراہ ہے کافر
،انسان بھی ہوتے ہیں کچھ لوگ جہاں میں
غفلت میں ہیں یہ دونوں ، سمجھایگا 'مکر

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