10
तुम - - -
ख़ुद को समझ रहे हो, कि रूहे रवाँ1 हो तुम,
ख़िलक़त2 ये कह रही है, कि उसपे गराँ हो तुम.
सब फ़ारिग़ ए सलात3 अभी तक अजाँ हो तुम,
हर सम्त है बहार, शिकार खिजाँ4 हो तुम.
क्यूँ चाहते हो, अपना यक़ीं सब पे थोप दो,
है भूत आस्था का, वहीं पर जहाँ हो तुम.
फ़रदा5 की कोख में हैं, सभी हल छिपे हुए,
माज़ी6 सवार सम्त, मुख़ालिफ़7 रवाँ हो तुम.
सर जिस्म पर ज़रूर है, रूहों का क्या पता ?
सर का ख़याल पहले करो, नातवाँ8 हो तुम.
शिद्दत9 है, जंग जूई10, बेएतदाली11 है,
आपस में लड़ रहे हो, जहाँ इम्तेहाँ हो तुम.
महकूम12 गर हुए, तो रवा दारी13 चाहिए,
कुछ और ही लगे हो, जहाँ हुक्मराँ14 हो तुम.
कुछ ऐसे बन सको, कि तुम्हारी हो पैरवी,
दुन्या गवाह हो, कि उरूज ए जहाँ15 हो तुम.
'मुंकिर' जगा रहा है, उठो मर्तबा16 वालो,
इक्कीसवीं सदी में, जहाँ है, कहाँ हो तुम.
1-प्राण-वर्धक २- अन्तर राष्ट्रिय जन समूह ३-नमाज़ अदा कर चुकना
४-पतझड़ ५-आनेवाला कल ६-अतीत ७-उल्टी दिशा ८ -कमजोर
९-उग्रता १०-युद्धाभियान ११-असंतुलन १२-आधीन
१३ -उचित बर्ताव १४-शाशक१५- दुन्या ऊपर १६-श्रेरेष्ट
تُم
،خود کو سمجھ رہے ہو ، کہ روحِ رواں ہو تم
خِلقت یہ کہ رہی ہے کہ ، اُس پہ گراں ہو تم ٠
،سب فارغِ صلات ، ابھی تک اذاں ہو تم
ہر سمت ہے بہار ، شِکار خزاں ہو تم ٠
،کیوں چاہتے ہو اپنا یقیں سب پہ تھوپ دو
ہے بھوت آستھا کا وہیں پر، جہاں ہو تم ٠
،فردہ کے کوکھ میں ہیں ، سبھی حل چُھپے ہوئے
ماضی سوار ، سمت مخالف رواں ہو تم ٠
،سر جِسم پر ضرور ہے روحوں کا کیا پتہ
اِس کا خیال پہلے کرو، ناتواں ہو تم ٠
،شِدّت ہے ، جنگ جوئی ہے ، اعتدالی ہے
آپس میں لڑ رہے ہو ، جہاں امتحاں ہو تم ٠
،محکوم جب ہوئے تو ، روا داری چاہئے
کچھ اور ہی لگے ہو ، جہاں حکمراں ہو تم ٠
،کچھ ایسے بن سکو ، کہ تمہاری ہو پیروی
دُنیا گواہ ہو کہ ، عروجِ جہاں ہو تم ٠
،منکر جگا رہا ہے اُٹھو ! اہل مرتبہ
اِکیسویں صدی میں جہاں ہے ، کہاں ہو تم ٠
No comments:
Post a Comment