Tuesday, July 10, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 111 जहाँ रुक गया हूँ वह मंज़िल नहीं है,


111

जहाँ रुक गया हूँ वह मंज़िल नहीं है,
ये तन आगे बढ़ने के क़ाबिल नहीं है.

 नफ़ी1 लेके मुल्क ए अदम2 जा रहा हूँ,
अजब मुस्बतें3 हैं कि हासिल नहीं हैं.

ज़ईफ़ी, नहीफ़ी4, ग़रीबी, असीरी5,
सदा दे अना6 कोई क़ातिल नहीं है.

जो रूपोश वहशत7, नफ़स8 चुन रही है,
वह ग़ालिब हैं मद्दे मुक़ाबिल नहीं हैं.

तेरे हुस्न की बे रुखी कह रही है,
तेरे पास सब कुछ है, बस दिल नहीं है.

ये मुंकिर नई  रहगुज़र चाहता है,
तुम्हारी क़तारों में शामिल नहीं है.

1 ऋणात्मक 2 अंतिम यात्रा 3 धनात्मक 4 कमजोरी 5 क़ैद 6 आत्म सम्मान 7 डर 8 साँसें  

،جہاں رک گیا ہوں، وہ منزل نہیں ہے
یہ تن آگے بڑھنے کے قابل نہیں ہے٠  

،نفی لیکے ملکِ عدم جا رہا ہوں
عجب مثبتیں ہیں کہ حاصل نہیں ہیں٠  

،ضعیفی، نحیفی، غریبی، اسیری
صدا دے آنا، کوئی قاتل نہیں ہے ؟

،جو روپوش وحشت، نفس چُن رہی ہے
وہ غالب ہے، مد مقابل نہیں ہے٠  

،ترے حسن کی، بے رُخی کہہ رہی ہے 
ترے پاس سب کچھ ہے، بس دل نہیں ہے٠  

،یہ منکر نئی رہگزر چاہتا ہے
تمہاری قطاروں میں شامل نہیں ہے٠  

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