Monday, July 2, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 103 थीं बहुत कुछ सूरतें अहदों उसूलों से भली,



103

थीं बहुत कुछ सूरतें अहदों उसूलों से भली,
जान लेने जान देने में ही तुम ने काट दी.

हैं नजिस नापाक रूहों  से जुड़े ये तेरे लब,
पड़ चुके किस थाल में हैं, ऐ मुक़द्दस आदमी.

नेक था स्रवन मगर, सीमित वो होकर रह गया,
सेवा में माँ बाप के ही, काट डाली ज़िन्दगी.

ढूंढो मत इतिहास के, जंगल में शेरों का पता,
ऐ चरिन्दों! क्या हुवा, जो पा गए सींगें नई.

आप ने देखा नहीं, क्या न मुकम्मल था ख़ुदा ,
ख़ैर छोडो, अब चलो खोजें, मुकम्मल आदमी.

करता है बे चैन 'मुंकिर' देके कुछ सच्ची ख़बर,
सच का वह मुख़बिर बना है, इस लिए है दुश्मनी.

***

،تھیں بہت سی صورتیں عہد واصولوں سے بھلی 
جان لینے، جان دینے، میں ہی تم نے کاٹ دی٠ 

،ہیں نجس، ناپاک ہوٹوں جڑے، یہ تیرے لب 
پڑ چکے کس تھال میں ہیں؟ ائے مقدّس آدمی٠ 

،نیک تھا شرون، مگر محدود ہو کر رہ گیا 
خدمتِ ماں باپ میں ہی صرف کر دی زندگی٠ 

،ڈھونڈھو مت تاریخ کے جنگل میں شیروں کا پتہ 
ائے چرندو کیا ہوا، جو پا گئے سینگیں نئی٠ 

،آپ نے دیکھا نہیں، کیا نا مکمّل تھا خدا
خیر چھوڑو، اب چلو ڈھونڈھیں مکمّل آدمی٠ 

،کرتا ہے بے چین منکر، دیکے کچھ سچچی خبرِ  
سچ کا وہ مخبر بنا ہے ، اس لئے ہے دشمنی٠ 

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