Thursday, June 21, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 94 अब मेरी उस से बोल चाल नहीं,


94

अब मेरी उस से बोल चाल नहीं,
है सुकूं, कोई क़ील व् क़ाल नहीं . 

मेरी उस से अजब लड़ाई है, 
सर में तलवार, दिल में बाल नहीं . 

तेरी रिश्वत की तर बतर रोटी,
मैं भी खालूँ, कोई सवाल नहीं .

मैंने माना कि तेरा दीं है सही,
हाँ मगर आज हस्ब ए हाल नहीं .

तालिबान ए ख़ुदा न तोड़ो बुत, 
अपने पुरखों का कुछ ख़याल नहीं .

हद से करता नहीं तजाउज़ वह ,
कहाँ मुंकिर में एतदाल नहीं. 

क़ील ओ क़ाल -तक़रारें, तजाउज़=सीमा लांघना ,एतदाल=संतुलन  

،اب مری اُس سے بول چال نہیں
ہے سکوں ، کوئی قیل و قال نہیں٠  

،میری اُس سے عجب لڑائی ہے
سر میں تلوار، دل میں بال نہیں٠  

،تری رشوت کی تر بتر روٹی
میں بھی کھاؤں، کوئی سوال نہیں٠  

،میں نے مانا کہ تیرا دیں ہے صحیح
ہاں ! مگر آج حسبِ حال نہیں٠  

،طالبان خدا نہ توڑو بُت
تم کو پُرکھوں کا کچھ خیال نہیں٠  

،حد سے کرتا نہیں تجاوز وہ 
کہاں منکر میں اعتدال نہیں٠

No comments:

Post a Comment