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शाख़शाना कोई अज़मत नहीं है,
भूल जाने में कुछ दिक़्क़त नहीं है .
दिल है नालां मगर नफ़रत नहीं है ,
वह मेरा आशना, वहशत नहीं है.
मेरी जानिब से शर मुमकिन नहीं है ,
दिल दुखाना मेरी आदत नहीं है.
सच है दिल में, भटक रहे हो अबस,
दैर या फिर हरम में, सत् नहीं है.
आजज़ी कर चुके मुंकिर बहुत,
और झुकने की अब ताक़त नहीं है.
मिल गया सब, मगर राहत नहीं है,
कह भी मुंकिर कि अब चाहत नहीं है.
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،شاخشانہ کوئی عظمت نہیں ہے
بھول جانے میں کچھ دقّت نہیں ہے٠
،دل ہے نالاں مگر نفرت نہیں ہے
وہ میرا آشنا وحشت نہیں ہے٠
،میری جانب سے شر مُمکن نہیں ہے
دل دُکھانا میری عادت نہیں ہے٠
،سچ ہے دل میں بھٹک رہے ہو عبس
دیر یا حرم میں ست نہیں ہے٠
،عاجزی کر چُکا منکر بہت
اور جُھکنے کی اب طاقت نہیں ہے٠
،مل گیا سب مگر راحت نہیں ہے
کہہ بھی منکر کہ اب چاہت نہیں ہے٠
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