दोहे
सब से मुंकिर राखियो , जय जय राम सलाम ,
भिड जाए जब चूतिया , मुंह पर लगे लगाम .
तन सिंचित मोती जड़ित , मन मोहन मुस्कान ,
है सृजित शोभा गणित ,अल्ला तेरी शान .
उपदेशों से न बनी , लाए ईश आदेश ,
शक्ति को भगती मिले , ऐसे हैं आदेश .
दावत हक की ले हैं , खिला रहे हैं भूख ,
इनके उनके फ़िक्र में भी गए हैं सूख .
खोले अपना डाक चार , बैठा उपर खुदाए ,
ख़त ले आया डाकिया , मार मार पढवाए .
No comments:
Post a Comment