रूबाइयाँ
ग़ारत हैं इर्तेक़ाई मज़मून वले,
अज़हान थके हो गए, ममनून वले,
साइन्स के तलबा को खबर खुश है ये,
इरशाद हुवा "कुन" तो "फयाकून"वले,.
तुम अपने परायों की खबर रखते थे,
हालात पे तुम गहरी नज़र रखते थे,
रूठे हों कि छूटे हों तुम्हारे अपने,
हर एक के दिलों में, घर रखते थे.
बेयार ओ मददगार हमें छोड़ गए,
कैसे थे वफ़ादार हमें छोड़ गए,
अब कौन निगहबाने-जुनूँ होगा मेरा,
लगता है कि घर बार हमें छोड़ गए.
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